709णवलइ पहारतुठ्ठाइ710 तं कअं किं पि हलिअसोण्हाए ।
जं अज्ज वि जुअइजणो घरे घरे सिक्खिउं भमइ ॥ १७५ ॥’
  1. ‘णवलइआपाहरं’ क दोलाविलाससमये 'जत्थ पलासलयाए जणेहि पइणाम पुच्छिआ जुवई । अकहन्ती णिहणिज्जइ णिअमविसेसो णवलया सा ॥’ देशीनाममाला
  2. ‘तुट्ठाए’ क ख