‘हुंहुं 812हे भणसु पुणो ण सुअंति करेइ कालविक्खेअं ।
घरिणी हिअअमुहाइं पइणो कण्णे भणंतस्स ॥ २३७ ॥’
  1. ‘दे भणसु’ क ख