1050णवलइपहारमंगे जहिँ जहिँ महइ देअरो दाउं ।
रोमंचदंडराई तहिं तहिं दीसइ बहूए ॥ ३०८ ॥’
  1. ‘णवलअपहरं’ क ख गाथासप्त॰