‘विहलइ से णेवच्छं पम्माअइ मंडणं गई खलइ ।
भूअछणणच्चणअम्मि1052 सुहअ मा णं 1053पलोएसु ॥ ३०९ ॥’
  1. ‘णच्चणपाम्मि’ ख
  2. ‘पुलोएसु’ क ख