क्षार गुण

क्षारस्सदा मूत्रगुणानुकारी ।
कुष्ठार्बुदग्रंथिकिलासकृच्छ्रान् ।
अर्शांसि दुष्टव्रणसर्वजंतू--।
नाग्नेयशक्त्त्या दहतीह देहम् ॥ ३६ ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.