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भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.

स्वेद के अतियोग का लक्षण.

स्वेदः प्रकोपयति पित्तमसृक्च साक्षाद्विस्फोटनभ्रममदज्वरदाहमूर्च्छाः ।
क्षिप्रं समावहति तीव्रतरः प्रयुक्तः तत्रातिशीतलविधिं विदधीत धीमान् ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.

स्वेदका गुण.

पानातिपातमददाहपरीतदेहं शीतांबुबिंदुभिरजस्रमिहार्दितांगम् ॥
उष्णांबुना स्नपितमुज्वलितोदराग्निम् संभोजयेदगुरुमग्निकरं द्रवान्नम् ॥ २९ ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.

बमनविरेचनविधिवर्णनप्रतिज्ञा.

स्वेदक्रियामभिविधाय यथाक्रमेण संशोधनोद्भवमहामयसच्चिकित्सा ॥
सम्यग्विधानविधिनात्र विधास्यते तत्संबंधिभेषजनिबंधनसिद्धयोगैः ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.

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  1. दो तीन प्रतियोमें भी यही पाठ मिलता है । परंतु यह प्रकरण से कुछ विसंगत मालुम होता है । यहांपर स्वेदकमेका प्रकरण है, इसलिये यहांपर प्राणातिपात यह पाठ अधिक संगत मालूम होता है । अर्थात् स्वेदकर्ममें अतियोगसे उत्पन्न ऊपर के श्लोकमें कथित रोगोंकी प्राणातिपात अवस्थामें क्या करें इसका इस श्लोकमें विधान किया होगा । संभव है कि लेखक के हस्तदोषसे यह पाठभेद हो गया हो ।--संपादक.