‘अवलंबह 1168सा संकह ण इमा गहलंघिआ परिब्भमइ ।
अत्थक्कगज्जिउब्भं1169तहित्थहिअआ पहिअजाआ ॥ ३४३ ॥’
  1. ‘मां संकरुणरसगाह’ ख
  2. ‘गज्जिअ उत्तन्त’ क ख