अजीर्णहृद्रोगत्रय.
मगधजामहिमांबुयुतां पृथक् । {??}रनागरकल्कमथाभया--
लवणचूर्णमिति त्रितयं पिवे--। दुदरवन्हिविवर्द्धन कारणम् ॥ ३१ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
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