‘णावज्झइ दुग्गेज्झिआ दिट्ठम्मि जम्मि भिउडिआ जत्थ ण अव्वाहारओ घिप्पइ आहासत्तए ।
विच्छुहइ अहिणिंदए जत्थ ण सो वअंसिआ तं मे 245कहउ माणअं जइ मे इच्छहि 246जीअअम् ॥ २३२ ॥
  1. ‘कहहु’ क ख ग
  2. ‘जीइअम्’ इति घ