678णअणब्भंतरघोलंतबाहभरमंथराइ679 दिट्ठीए ।
पुणरुत्तपेछिरीए680 वालअ किं जं ण भणिओ सि ॥ १४९ ॥’
  1. ‘णअणव्भंतर’ क ख, ‘णअणंतर’ ग घ
  2. ‘मन्थराए’ क ख ग घ
  3. ‘पेच्छरीए’ क ख