‘आवाअभअअरं चिअ867 ण होइ दुक्खस्स दारुणं 868णिव्वहणम् ।
णाह जिअन्तीअ मए दिट्ठं सहिअं अ तुह इमं अवसाणम् ॥’
  1. ‘विअ’ ख
  2. ‘अवसाणं’ क ख