‘रन्धणकम्मणिउणिए मा जूरसु575 रत्तपाडलसुअन्धम् ।
मुहमारुअं पिअन्तो धूमाइ सिही ण पज्जलइ ॥ ९१ ॥’
  1. ‘मा ऊर सु’ क, ‘मा सुरसु’ ख