कर्मोपशांति करनेवाली क्रिया ही चिकित्सा है ।

तरमात्स्वकर्मोपशमक्रियाया ।
व्याधिप्रशांतिं प्रवदंति तदज्ञाः ॥
स्वकर्मपाको द्विविधो यथाव--।
दुपायकालक्रमभेदभिन्नः ॥ १४ ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.