सर्वरोगों की त्रिदोषों से उत्पत्ति.

निखिलदोषकृतामयलक्षण--। प्रतिविधानविशेषविचारणं ॥
क्रमयुतागमतत्वविदां पुनः । पुनरिह प्रसभं किमु वर्ण्यते ॥ २ ॥

अर्थः--The Hindi commentary was not digitized.