भूतादि देवतायें मनुष्योंको कष्ट देने का कारण.

व्यंतरा भुवि वसंति संततं पीडयंत्यपि नरान्समायया ।
पूर्वजन्मकृतशत्रुरोषतः क्रीडनार्थमथवा जिघांसया ॥ ६६ ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.