बमनविरेचनविधिवर्णनप्रतिज्ञा.

स्वेदक्रियामभिविधाय यथाक्रमेण संशोधनोद्भवमहामयसच्चिकित्सा ॥
सम्यग्विधानविधिनात्र विधास्यते तत्संबंधिभेषजनिबंधनसिद्धयोगैः ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.

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  1. दो तीन प्रतियोमें भी यही पाठ मिलता है । परंतु यह प्रकरण से कुछ विसंगत मालुम होता है । यहांपर स्वेदकमेका प्रकरण है, इसलिये यहांपर प्राणातिपात यह पाठ अधिक संगत मालूम होता है । अर्थात् स्वेदकर्ममें अतियोगसे उत्पन्न ऊपर के श्लोकमें कथित रोगोंकी प्राणातिपात अवस्थामें क्या करें इसका इस श्लोकमें विधान किया होगा । संभव है कि लेखक के हस्तदोषसे यह पाठभेद हो गया हो ।--संपादक.