मूत्रवर्तिका ।
समस्तसंशोधनभेषजैस्समैः । कटुप्रकारैर्लवणैर्गवां जलैः ॥
महातरुक्षीरयुतैस्सुसाधितै--। र्महामयघ्ना वरमूत्रवर्तिका ॥ १६२ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
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