विहरणे संचरणे सफलः । उद्भूतः शुभाशुभसूचकत्वात् । मेलिकारी संगमकारी, चूडामणित्वात् । ऐक्यकारी वा, तन्मूर्तित्वात् । कन्दोदं कुमुदमिहाभिमतं तद्विकासेन लसनशीलः । ज्योत्स्नाजलौघान्ददत् । विभ्रमाणां बलेन विहिता निजे आत्मनि रतिर्येन स तथा ॥