‘वाणउ उज्जु माइगहिल्ल उअण्णवि कोमह्लण उ वारिज्जन्तु ण्णट्ठाइ ।
करइ वलिवं उउ च वक्कस मच्छलु अहिमुहं हि तरुणिहिं अअच्छासइ दुक्कम् ॥ ३४६ ॥’