59
तिल आदिके गुण ।
उष्णा व्याप्तकषायतिक्तमधुरास्सांग्राहिका दीपनाः ।
पाके तल्लघवस्तिला व्रणगतास्संशोधना रोपणाः ॥
गोधूमास्तिलवद्यवाश्च शिशिरा बाल्यातिवृष्यास्तु ते ।
तेषां दोषगुणान्विचार्य विधिना भोज्यास्सदा देहिनाम् ॥ २५ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
वर्जनीय धान्य ।
यच्चात्यंतविशीर्णजीर्णमुषितं कीटामयाद्याहतं ।
यच्चारण्यकुदेशजातमनृतौ यच्चाल्पपक्वं नवं ।
यच्चापथ्यमसात्म्यमुत्कुणपभूभागे समुद्भूतमि-
त्येतद्धान्यमनुत्तमं परिहरेन्नित्यं मुनींद्रैस्सदा ॥ २६ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
शाक वर्णन प्रतिज्ञा
-
मधुगंगा अनेक कोषों में देखने पर भी इसका उल्लेख नहीं मिलता । अतः इस के स्थानमें मधुकं- द ऐसा होवें तो ठीक मालूम होता है, ऐसा करने पर, आलुका भेद यह अर्थ होता हैं ।
↩