अष्टविधदुग्ध ।
करभमहिषगोऽविच्छागमृग्यश्वनारी--।
पय इति बहुनाम्ना क्षीरमष्टप्रभेदम् ॥
विविधतरुतृणाख्यातौषधोत्पन्नवीर्यै--।
र्हितकरमिह सर्वप्राणिनां सर्वमेव ॥ २१ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
-
द्विदल मूंग मटर आदि धान्यों को अठारह गुण जल डालकर सिद्ध कियां गया दाल को यूष कहते हैं । कहा भी है--स्निग्धं पदार्थो यूष स्मृतो वैदलानामष्टादशगुणेऽम्भसि ।
↩