आत्मस्वरूप विवेचन ।
अनादिबद्धस्स कथंचिदात्मा ।
स्वकर्मनिर्मापितदेहयोगात् ॥
                                                            अमूर्तमूर्तत्वनिजस्वभाव--।
स्स एव जानाति स पश्यतीह ॥ ३ ॥
                                                            भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
105