बाह्यचिकित्सा ।

द्रव्यं तथा क्षेत्रमिहापि कालं ।
भावं समाश्रित्य नरस्सुखी स्यात् ॥
स्नेहादिभिर्वा सुविशेषयुक्तम् ।
छेद्यादिभिर्वा निगृहीतदेहः ॥ ३१ ॥
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भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.

  1. इस श्लोकके दो मूलप्रतियों को टटोलनेपर मी दो ही चरण उपलब्ध हु