कुष्ठमें पथ्यशाक ।

वासागुलूचीसपुनर्नवार्क--पुष्पादितिक्तकटुकाखिलशाकवर्गैः ॥
आरग्वधारुष्करनिंबतोय--पक्वैस्सदा खदिरसारकषायपौनः ॥ ८० ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.