सर्वमूढगर्भापहरण विधान ।

मूढगर्भगतिरत्र विचित्रा । तत्वविद्विविधमार्गविकल्पैः ॥
निर्हरेत्तदनुरूपविशेषै--। र्गर्भिणीमुपचरेदपि पश्चात् ॥ ६२ ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.