पित्तरक्त कफार्शलक्षण ।
पित्तरक्तजनितानि मृदून्य--। त्युष्णमस्रमसकृद्विसृजंति ॥
श्लेष्मजान्यपि महाकठिनान्य--। त्युग्रकण्डुरतराणि बृहन्ति ॥ ८६ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.