अर्शका असाध्य लक्षण ।

प्रसृतातिरुधिराद्यतिसार--। श्वासशूलपरिशोषतृषार्तम् ॥
वर्जयेद्गुदगदांकुरवर्गो--। त्पीडितं पुरुषमाशु यशोऽर्थी ॥ ९३ ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.