द्विविधविद्रधि
भवति बहिरिहांतर्विद्रधिश्चापि तद्वत् ।
विषमतरविकारो विद्रधिश्चांतरंगः ॥ २५ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
विशेषः--The Hindi commentary was not digitized.