कफाभिष्यंदमें आश्चोतन व सेक.
ससैंधवैस्सोष्णतरैर्मुहुर्मुहु--। र्भवेत्सदाश्चोतनमेव शोभनम् ॥
पुनर्नवांघ्रिप्रभवैः ससैंधवै । रसैर्निषिंचेत्कफरुद्धलोचनम् ॥ १४९ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.