कुलत्थ क्वाथ.
क्वथितमुष्ककभस्मविगालितो । दकविपक्वकुलत्थरसं सदा ॥
लवणितं त्रिकटूत्कटमातुरः सततमग्निकर प्रपिबेन्नरः ॥ ३२ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
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