बलोत्पत्तिके अंतरंग कारण

स्वकर्मणामौपशमात् क्षयादपि । क्षयोपशम्यादपि नित्यमुत्तमम् ।
सुसत्वमुद्यत्पुरुषस्य जायते । परीषहान्यो सहते सुसत्ववान् ॥ १७ ॥
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भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.

  1. योग्य प्रमाण से सेवन किये गये आहार को जो ठीक तरहसे पचाती है उसे समाग्नि कहते हैं ।