113b प्रसिद्धधर्मा प्रत्यक्षबाधिनी चेति दुष्यति ॥
139 इति । हेतुहानिरसिद्धत्वादिलक्षणः । यथोक्तम्—
हेतुस्त्रिलक्षणो ज्ञेयो हेत्वाभासो विपर्ययात् ।
140 इति । तस्यान्यत्र विस्तरः । दृष्टान्तहानिः साध्यधर्मविरहादिरूपात् । तदुक्तम्—
साध्यसाधनधर्माभ्यां सिद्धो दृष्टान्त उच्यते ।
तद्विपर्ययतो वापि तदाभस्तदवृत्तितः ॥
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  1. काव्यालङ्कारे ५. १३
  2. काव्यालङ्कारे ५. २१
  3. काव्यालङ्कारे ५. २६