लगणलक्षण
अवेदनो ग्रंथिरपाकवान्पुनः । स वर्त्मनि स्थूलतरः कफात्मकः ॥
स्वलिंगभेदो लगणोऽथ नामतः । प्रकीर्तितो दोषविशेषवेदिभिः ॥ १९५ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
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