शीतपूतनाघ्न बलि स्नानका स्थान.
मुद्गयूषयुतभोजनादिकैः अर्चयेदपि शिशुं जलाश्रये ।
स्नापयेदधिकमंत्रमंत्रितै मंत्रविद्विधिविपक्ववारिभिः ॥ १०४ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.