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खर्जूरादि लेप
खर्जूरसर्जरसदाडिमनालिकेर ।
हिंतालतालतरुमस्तकमेव पिष्टम् ॥
रंभारसेन घृतमाहिषदुग्धमिश्र--
मालेपयेन्मधुकचंदनशारिबाभिः ॥ २७ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
लेप व स्नान
क्षीरद्रुमांकुरशिफान्पयसासुपिष्टा--।
नालेपयेद्रुधिरपित्तकृतान्विकारान् ॥
जंबूकदंबतरुनिंबकषायधौतान् ।
क्षीरेण चंदनसुगंधिहिमांबुना वा ॥ २८ ॥
भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.
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कुपितं के स्थान में कुथित होवें तो अधिके अच्छा मालूम होता हैं ।
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