अभिन्ननेत्राभिघातचिकित्सा.

नेत्राभिघातजमभिन्नमिहावलंब--
मानं निवेश्य घृतलिप्तमतः प्रबंधैः ॥ २५३ ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.