छर्दिका असाध्यलक्षण.

सास्रपूयकफमिश्रितरूपो--। पद्रवाधिकनिरंतरसक्ताम् ॥
वर्जयेदिह भिषग्विदितार्थः । छर्दिमर्दिततनुं बहुमूर्च्छां ॥ ४१ ॥

भावार्थः--The Hindi commentary was not digitized.